Uniform civil code: जिस यूसीसी कानून को लेकर आज मोदी सरकार और कांग्रेस में बवाल मचा है, उसी कानून को लागू कराने के लिए आज से 77 साल पहले डॉ. अंबेडकर नेहरू जी से लड़ पड़े थे। उन्हें यह पता था कि जब तक सामाजिक कानून महिलाओं के लिए समान नहीं होंगे, तब तक महिलाएं आगे नहीं बढ़ पाएंगी। डॉ. अंबेडकर ने एक बार यह कहा था कि मैं किसी भी समाज की प्रगति का अनुमान इस बात से लगा सकता हूं कि वहां पर महिलाओं की हालत कैसी है।
साल 1946 में यूसीसी कानून लागू हुआ
और इसीलिए, साल 1946 में यूसीसी को लागू करने के लिए डॉ. अंबेडकर ने नेहरू जी से लड़ पड़े थे। उन्होंने काफी जिद भी की थी, लेकिन उस समय नेहरू जी का यह कहना था कि साल 1951 के आम चुनाव में जनता से विश्वास लेने के बाद यूसीसी को लागू करेंगे।
नेहरू से नाराज होकर डॉ. अंबेडकर ने दिया इस्तीफा
उस समय, नेहरू से नाराज होकर डॉ. अंबेडकर ने देश के कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था और अपने भाषण में यह कहा था कि नेहरू जी ने जो वायदा किया था, वह निभाया नहीं और महिलाओं की समानता के लिए जो प्रयास करना चाहिए था, वह नहीं किए गए।
इसी वजह से आज भारत एक ऐसा देश बन चुका है जहां, एक संविधान के होते हुए भी, हिंदुओं के लिए महिलाओं को लेकर कानून अलग है और मुस्लिमों के लिए अलग है। जहां, एक और हिंदुओं को संविधान में लिखे हर एक कानून का पालन करना है, वहीं दूसरी ओर भारत में, संविधान होते हुए भी, मुसलमानों के लिए अलग-अलग मुस्लिम पर्सनल लॉ बना है।
और इस पर्सनल लॉ को कवर करने के लिए, भारत में आज भी 100 से ज्यादा शरिया कोर्ट मौजूद है। कांग्रेस सरकार ने अपनी तुष्टीकरण की राजनीति के चक्कर में संविधान में यह लिख दिया कि देश में एक खास समाज को ही संविधान के कानूनों का पालन करना होगा और बाकी लोग अपने धार्मिक ग्रंथों को फॉलो कर सकते हैं।
और इसी के चलते, आज भारत के मुस्लिम एक से ज्यादा शादी कर सकते हैं, ना बालिकाओं से भी शादी कर सकते हैं, और उनके लिए तलाक के अलग कानून बनाए गए हैं। यूनिफॉर्म सिविल कोड, यानी यूसीसी, इसी चीज को ठीक करने के लिए बनाया गया है। इससे देश में समानता आएगी और पूरे देश में हर एक वर्ग और धर्म के लोगों के लिए एक ही कानून लागू होगा।
आप यूसीसी के पक्ष में हैं या नहीं, कमेंट सेक्शन में जरूर लिखें।